भरतपुर में 12—13 मार्च को होगा तेल उद्यमियों का महाकुम्भ
खाद्य तेल सैक्टर के हितों पर
रक्षा पर होगी चर्चा
इस वर्ष देश में सरसों की रिकार्ड बुआई के बीच देश में रिकार्ड उत्पादन की
संभावनाओं के बीच आगामी 12—13 मार्च को 42वां अखिल भारतीय रबी तिलहन
सेमिनार भरतपुर में होने जा रहा है।
यूं तो वर्ष में हर वर्ष खाद्य तेल
उद्यमियों के दो सम्मेलन होते हैं लेकिन इस वर्ष 42वां अखिल भारतीय रबी तिलहन सेमिमार ऐसे समय में हो रहा है जब विश्व बाजार में
खाद्य तेलों के भाव रिकार्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं और इसका सीधा असर भारतीय खाद्य
तेल बाजार पर पड़ा है। सरकार खाद्य तेलों के भाव को बढ़ने से रोकने के लिए अनेक
कदम उठा चुकी है लेकिन भाव में वांछित गिरावट नहीं आ सकी है।
वास्तव में अब खाद्य तेल उद्योग—व्यापार परेशानी में है। भाव बढ़ोतरी का कारण विश्व बाजार में तेजी है लेकिन
सरकार व्यापारियों को कटघरे में खड़ा कर रही है।
सरकार के बार—बार आयात ड्यूटी में कमी करने या अचानक स्टाक लिमिट लगाने या आयल काम्पलैक्स
में वायदा कारोबार रोकने से व्यापारी और उद्योगपति परेशानी अनुभव कर रहा है
क्योंकि वह अनिश्चितता की स्थिति में कोई कारोबार की कोई योजना नहीं बना पा रहा
है।
मस्टर्ड आयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन
यानि मोपा के चेयरमैन श्री बाबू लाल डाटा का कहना है कि इस सेमिनार का उद्देश्य
खाद्य तेल सैक्टर के हितों की रक्षा के साथ ही इस उद्योग के सामने आ रही समस्याओं
के समाधान, उद्यमियों में नई तकनीक के बारे में जागरुकता पैदा
करना और देश इस सैक्टर के विकास को बढ़ावा देना है।
श्री डाटा का कहना है कि इस समय
सरकारी नीतियों के कारण तिलहन उत्पादक किसान, खाद्य तेल उद्योग जिसमें
प्रोसेसर्स, आयल मिलर्स भी शामिल हैं,परेशानी में है।
सेमिनार का उद्देश्य सरकार को इस
बारे में अवगत कराना और सुझाव देना भी है।
उल्लेखनीय है कि भारत विश्व में
खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश है क्योंकि तिलहनों का उत्पादन खाद्य तेलों की
खपत की तुलना में कम है।
भरतपुर आयल मिलर्स एसोसिएशसन के
प्रेजीडेंट श्री के.के. अग्रवाल का कहना है कि इस सेमिनार में देश में खाद्य तेलों
के उत्पादन व उपलब्धता के बारे में भी चर्चा की जाएगी और मार्केटिंग रणनीति आदि के
बारे में उद्योग को जागरुक किया जाएगा।
भरतपुर आयल मिलर्स एसोसिएशन के
सचिव श्री राकेश बासल का कहना है कि
सेमिनार में खाद्य तेलों की
गुणवत्ता के बारे में विचार—विमर्श करने के साथ ही उपभोक्ता को उच्च क्वालिटी का
तेल उपलब्ध कराने पर चर्चा की जाएगी।
रबी सेमिनार कमेटी के संयोजक श्री
राधेश्याम गोयल का कहना है कि इस सेमिनार में वैज्ञानिकों, तकनीकविदों तथा ते उद्योग एवं व्यापार तथा किसानों को भी आमंत्रित किया जा रहा
है।
उल्लेखनीय है कि सरसों रबी की
प्रमुख तिलहन फसल है और इसमें तेल औसत मात्रा 40 प्रतिशत से अधिक होने के कारण देश
में स्वदेशी तेलों की उपलब्धता बढ़ाने और आयात में कमी करने की क्षमता भी है।
सरसों का उत्पादन बढ़ाने की क्षमता
भी व्यापक है। व्यापारियों का कहना है कि देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाकर जल्दी
ही 200 लाख टन तक किया जा सकता है लेकिन इसके लिए सरकार की
अनुकूल नीतियों का होना जरुरी है।