आस्ट्रेलिया में चना टूटा
भारतीय मांग नदारद: आवक में सुधार
हमारे संवाददाता द्वारा
नई दिल्ली—जानकारों का कहना है कि आवक का दबाव बढ़ने और भारतीय आयातकों के बाजार से नदारद होने के कारण आस्ट्रेलिया में चना के भाव में भारी गिरावट आई है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष आस्ट्रेलिया चना उत्पादन अधिक होने का अनुमान है जबकि भारत सरकार ने देश में कमी को देखते हुए 31 मार्च तक चने के आयात से ड्यूटी समाप्त कर दी है ताकि घरेलू बाजार में इसके भाव न बढ़ सकें।
व्यापारियों का कहना है अभी तक भारत के चने का लदान होने का कोई समाचार नहीं है।
भारतीय आयातकों की खरीद नहीं होने से आस्ट्रेलिया में क्विंसलैंड पहुंच चने के भाव में लगभग 250 डालर प्रति टन की गिरावट आ चुकी है।
अक्टूबर के आरंभ में क्विंसलैंड में चने का भाव लगभग 1,000 डालर प्रति टन था जो अब 710—735 डालर प्रति टन रह गया है।
जानकारों का कहना है कि विगत दिनों पाकिस्तान ने क्विंसलैंड के नए चने अवश्य कुछ खरीद की है। इनका कहना है कि अब भाव में आने पर संभव है कि भारत और बांग्लादेश की मांग आ जाए।
उत्पादन
जानकारों का कहना है कि इस वर्ष आस्ट्रेलिया में चना उत्पादन के अनुमान 15 से 17 लाख टन तक लगाए जा रहे हैं। इसे देखते हुए वहां के किसान बिकवाल बने हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि सितम्बर में वहां के अनेक क्षेत्रों में बारिश के बाद आस्ट्रेलिया में चने की फसल को नुकसान की बात हो रही थी तथा उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका व्यक्त की जा रही थी।
जानकारों का कहना है कि उन्हें आशा थी कि भारत में चने की कमी और सरकार द्वारा ड्यूटी समाप्त कर देने के बाद वहां से भारी मांग आएगी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है।
आस्ट्रेलिया में किसानों रे आरंभ पाकिस्तान के लिए 1,000 डालर प्रति टन चना बोलना आरंभ किया था तथा सौदे 810—820 डालर प्रति टन सीआरएफ की दर पर हुए और अब भाव और गिर कर 720 डालर के आसपास आ गया है। जानकारों के अनुसार पाकिस्तान के आयातकों ने काफी सौदे किए हुए हैं।
जानकारों का कहना है कि वास्तव में भारतीय आयातकों की भारी मात्रा में मांग आने के अनुमान से किसान भाव बढ़ाकर बोल रहे थे।
भारत सरकार ने 2018 में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2018 में चना आयात पर 66 प्रतिशत की दर से आयात ड्यूटी लगा दी थी।