नई दिल्ली-केंद्रीय सरकार द्वारा खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं की बिक्री किए जाने की घोषणा के बाद भी दिल्ली बाजार में गेहूं के भाव में कोई खास मंदा नहीं आया है। यही नहीं आने वाले महीनों में भी इस बिक्री से किसी प्रकार के मंदे की संभावना नहीं है लेकिन भाव में अब अधिक तेजी भी नही आ पाएगी।
केंद्रीय सरकार ने खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं बेचने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद भी दिल्ली सहित देश के किसी भी भाग में कोई खास मंदा नहीं आया है। दिल्ली बाजार में दड़ा क्वालिटी की गेहूं के भाव में 3 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है और 1067/1070 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं। कोटा मंडी में भी गेहूं के भाव में केवल मामूली कमी आई है।
केद्रीय सरकार द्वारा 50 लाख टन गेहूं बाजार में जारी करने के बाद भी गेहूं के भाव में अधिक मंदा नहीं आएगा लेकिन तेजी रुक जाएगी इसका कारण बाजार में गेहं की कमी होना है।
यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो 2006-07 के दौरान गेहूं का उत्पादन 758.1 लाख टन हुआ था जो 2007-08 के दौरान बढ़ कर 784 लाख टन होने का अनुमान है।
सरकार द्वारा व्यापारियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर इसकी खरीद के लिए अंकुश लगाए जाने के कारण स्टाकिस्टों, व्यापारियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने विपणन वर्ष 2008-09 (अप्रैल-मार्च) के दौरान खुले बाजार में केवल सीमित खरीद ही की।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2008-09 के दौरान मंडियों मं कुल 248.28 लाख टन की आवक हुई और इसमें से सरकारी एजेंसियों ने 225.27 लाख टन की खरीद की। इस प्रकार शेष गेहूं लगभग 23 लाख टन की खरीद स्टाकिस्टों, व्यापारियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने की।
इससे पूर्व वर्ष के दौरान मंडियों में कुल आवक लगभग 151 लाख टन की हुई थी और सरकारी एजेंसियों ने 111.27 लाख टन गेहूं की खरीद की। बाकी 39 लाख टन की खरीद स्टाकिस्टों, व्यापारियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने की।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और बड़ी आटा मिलों द्वारा सरकार के पास दायर की गई रिटर्न के अनुसार इस वर्ष उन्होंने केवल 11.7 लाख टन की खरीद की जबकि गत वर्ष उन्होंने 20 लाख टन से अधिक की खरीद की थी।
वास्तव में सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 850 रुपए से बढ़ा कर 1000 रुपए प्रति िक्वंटल किए जाने के बाद किसान भी अधिक से अधिक गेहूं बाजार में लेकर आए। यह अधिक आवक से भी स्पष्ट है क्योंकि उत्पादन तो केवल 26 लाख टन ही बढ़ा लेकिन
आवक में 97 लाख टन की बढ़ोतरी हो गई। यही नहीं सरकारी खरीद भी 114 लाख टन बढ़ गई। दूसरी ओर व्यापारियों, स्टाकिस्टों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने सकर्तता बरती।
व्यापारियों और स्टाकिस्टों ने जहां सरकारी खरीद के कारण गेहूं की खरीद से हाथ खींचे रखा वहीं पूर्व में गेहूं के भाव में अधिक बढ़ोतरी नहीं होने के कारण हुए घाटे को देखते हुए भी बाजार से पीछे हटे रहे।
बहरहाल, अब स्थिति यह है कि खुले बाजार में स्टाकिस्टों, व्यापारियों, आटा मिलों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के पास गेहूं का स्टाक सीमित मात्रा में है और अधिकांश स्टाक सरकारी गोदामों में है। यही कारण है कि सरकारी घोषणा के बावजूद भाव में गिरावट नहीं आई है।
समझा जाता है कि सरकार गेहूं की बिक्री समर्थन मूल्यों से अधिक भाव ही करेगी। संभव है कि सरकार आटा मिलों को टैंडर प्रणाली से गेहूूं की बिक्री करे। ऐसे में भाव किसी प्रकार की लम्बी मंदी या लम्बी तेजी की संभावना नजर नहीं आ रही है।-
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
खाद्य तेलों में तेजी का दौर सीपीओ 7.25 प्रश, सोया आयल 5 प्रश बढ़ा ब्राजील, अर्जन्टीना में सोया में देरी गत सप्ताह विश्व बाजार में खाद्य त...
-
महंगाई सरकार की परेशानी लगातार बढ़ाती ही जा रही है। सरकार इसे रोकने का जितना प्रयास कर रही है यह उतनी बेकाबू होती जा रही है। इस वर्ष जनवरी के...
-
नई दिल्ली-केंद्रीय सरकार द्वारा खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं की बिक्री किए जाने की घोषणा के बाद भी दिल्ली बाजार में गेहूं के भाव में कोई ख...
-
आस्ट्रेलिया में काटन का बम्पर उत्पादन लगभग पूरी काटन का हुआ निर्यात नई दिल्ली — जानकार व्यापारियों का कहना है कि 2023—24 के दौरान आस्ट...
No comments:
Post a Comment