Sunday, August 24, 2008

चाय की प्याली में तूफान

इस वर्ष जनवरी से चाय के भाव में तेजी का जो दौर आरंभ हुआ है वह अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। यही नहीं देश मं उत्पादन व खपत की स्थिति और विश्व बाजार में उत्पादन को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि भविष्य में चाय की प्याली में आया तेजी का तूफान उतर जाएगा।

इस वर्ष जनवरी से ही चाय में तेजी आरंभ हो गई थी और इसका कारण 2007 में चाय का उत्पादन 9570 लाख किलो से घट कर 9400 लाख किलो रह जाना है। इससे चालू वर्ष के आरंभ में बकाया स्टाक कम मात्रा में बचा। हालांकि इस वर्ष चाय का उत्पादन गत वर्ष की तुलना मे आगे चल रहा है लेकिन विश्व के प्रमुख देशों में चाय का उत्पादन कम होने के कारण भाव बढ़ रहे हैं। देश से चाय के निर्यात में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जनवरी से जून तक अखिल भारतीय स्तर पर नीलामी केंद्रों पर चाय के भाव में लगभग 10 रुपए प्रति किलो की तेजी आ चुकी है। जुलाई और अगस्त में भी तेजी का दौर बना हुआ है।
इस वर्ष देश में जनवरी से मई के दौरान चाय का उत्पादन गत वर्ष की इसी अवधि के स्तर 2264 लाख किलो से बढ़ कर 2402 लाख किलो हो गया है लेकिन देश में पुराना स्टाक कम होने के कारण इसका भाव पर कोई मंदे का असर नहीं पड़ा।
,इसी बीच, देश से निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है। नवीनतम प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष जनवरी से जून के दौरान 874 लाख किलो चाय का निर्यात किया जा चुका है जिकि गत वर्ष इसी अवधि में 770 लाख किलो का निर्यात किया गया था। निर्यात की वर्तमान दर और विश्व बाजार की स्थिति को देखते इस वर्ष चाय का निर्यात 2000 लाख किलो से अधिक होने का अनुमान है जबकि गत वर्ष 1800 लाख किलो का निर्यात किया गया था। वर्ष 2006 में निर्यात लगभग 2190 लाख किलो का था।

जहां तक विश्व बाजार का प्रश्न है इस वर्ष उत्पादन में कमी आ रही है। केनिया में जनवरी-मई क दौरान चाय का उत्पादन 1715 लाख किलो से घट कर 1346 लाख किलो रह गया था। आगामी महीनों मं इसमें और गिरावट के समाचार हैं। तंजनिया में उत्पादन 119 लाख किलो से घट कर 107 लाख किलो रह गया था। यूगांडा, इंडोनेशिया, मलावी, जिम्बाबे आदि में भी चाय के उत्पादन में गिरावट आई है। लेकिन श्रीलंका में चाय का उत्पादन गत वर्ष की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक हो चुका था। इसी प्रकार बंगलादेश में भी उत्पादन कुछ अधिक हो रहा है।

बहरहाल, कुल मिलाकर विश्व बाजार में चाय का उत्पादन गत वर्ष की तुलना में कम होगा और इसका लाभ भारतीय निर्यात को मिलेगा।

इसे देखते हुए आगामी महीनों में चाय के भाव में किसी भारी गिरावट के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

2 comments:

उमाशंकर मिश्र said...
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Hari Joshi said...

बेहतर जानकारी है। आभार।

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