Monday, November 4, 2024

 खाद्य तेलों में तेजी का दौर

सीपीओ 7.25 प्रश, सोया आयल 5 प्रश बढ़ा

ब्राजील, अर्जन्टीना में सोया में  देरी

गत सप्ताह विश्व बाजार में खाद्य तेलों में तेजी का दौर रहा। निर्यात अधिक होने से जहां मलेशिया में सीपीओ के भाव में लगातार दूसरे सप्ताह 7.25 प्रतिशत का उछाल आया वहीं सीबोट में सोया आयल 4.87 प्रतिशत बढ़ गया। यूक्रेन में सन आयल में भी तेेजी रही।

मलेशिया में  भाव 4,879 रिंगित का रिकार्ड स्तर छू गया जो जून 2022 के बाद सबसे ऊंचा भाव है।

जानकारों का कहना है कि मलेशिया में तेजी का कारण वहां से अक्टूबर के दौरान निर्यात में भारी वृद्धि है।

व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में कच्चे तेल के भाव में वृद्वि का असर भी सीपीओ पर तेजी का पड़ रहा है।

इसके अतिरिक्त मलेशिया और इंडोनेशिया में  पाम आयल के उत्पादन में गिरावट की आशंका है।  इंडोनेशिया से निर्यात पर अधिक टैक्स लगने के कारण भी मलेशिया में पाम आयल को सम्बल मिला।

जानकारों का कहना है कि मलेशिया में उत्पादन में कमी और निर्यात में वृद्धि के कारण वहां पर अक्टूबर के अंत में पाम आयल के स्टाक में कमी संभावना है।

चीन के बाजारों में भी पाम आयल और सोया आयल के भाव में तेजी रही।

थाईलैंड द्वारा दिसम्बर तक पाम आयल के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण बाजार में मनोवैज्ञानिक असर तेजी का पड़ रहा है।

सीबोट में सोया आयल के भाव भी सप्ताह के दौरान 4.87 प्रतिशत बढ़ गए।

ब्राजील और अर्जन्टीना में सोयाबीन की बुआई में देरी होने से वहां से नई फसल की आवक में भी अब देरी की आशंका है हालांकि दोनों देशों में उत्पादन गत वर्ष से अधिक होने की आशा है।

सबसे सस्ता

जानकारों का कहना है कि हालांकि सप्ताह के दौरान सीबोट में सोया आयल के भाव में लगभग 5 प्रतिशत की तेजी आई लेकिन इसके बावजूद यह पाम आयल और सन आयल से सस्ता बना हुआ है।

किसी समय सबसे सस्ता होने वाला पाम आयल अब सबसे मंहगा हो गया है। 

उत्पादन में कमी के कारण सन आयल के भाव में भी तेजी आ रही है।

भारतीय बाजार

व्यापारियों का कहना है कि विश्व बाजार में तेजी का असर भारतीय बाजारों में तेजी का रहने का अनुमान है। हालांकि नए सोयाबीन की आवक आरंभ हो चुकी है लेकिन आयात मंहगा होने से भाव को समर्थन मिलेगा।

सरसों व इसके तेल में भी तेजी की संभावना है।

जानकारों के अनुसार देश में खाद्य तेलों की त्योहारी मांग भले ही समाप्त हो गई है लेकिन अब वैवाहिक सीजन के लिए उठाव आरंभ हो जाएगा।

 

आस्ट्रेलिया में काटन का बम्पर उत्पादन

लगभग पूरी काटन का हुआ निर्यात

नई दिल्लीजानकार व्यापारियों का कहना है कि 2023—24 के दौरान आस्ट्रेलिया में काटन का बम्पर उत्पादन हुआ था तथा कुछ देशों में आर्थिक मंदी जैसी स्थिति के बावजूद वहां से लगभग सारी काटन का निर्यात किया जा चुका है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वहां पर लगभग 51 लाख गांठ काटन का बम्पर उत्पादन हुआ था। इसमें से लगभग 30 प्रतिशत का निर्यात केवल चीन को ही किया गया। इसके अतिरिक्त आस्ट्रेलिया से वियतनाम, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश आदि को निर्यात किया गया।

ऑस्ट्रेलियन कॉटन शिपर्स एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जूल्स विलिस ने कहा कि एक और 50 लाख गांठ से अधिक की बम्पर काटन फसल को निर्यात करना  एक बड़ी उपलब्धि थी।

सुश्री विलिस ने ग्रेन सेंट्रल को बताया, "कपास व्यापारी हमारे अधिकांश उत्पाद ऐसे सीज़न के दौरान बेचने में कामयाब रहे हैं, जहां ऑस्ट्रेलिया के सामान्य गुणवत्ता पैरामीटर फसल के समय गीले मौसम से प्रभावित थे, जिससे फसल के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रंग और ग्रेड पर असर पड़ा।"

सुश्री विलिस ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नवंबर-मार्च की अवधि में बिना बिकी कपास की शिपिंग जारी रहेगी।

चीन प्रमुख बाज़ार

जानकारों का कहना है कि आस्ट्रेलियन कपास के एक महत्वपूर्ण खरीदार के रूप में चीन की वापसी उल्लेखनीय है, हालांकि इसकी बाजार हिस्सेदारी अब नरम प्रतिबंध अवधि से पहले 2019 की तुलना में लगभग आधी है।

आर्थिक स्थितियों के कारण चीन की नरम मांग के बावजूद, देश में ऑस्ट्रेलियाई निर्यात मजबूत बना हुआ है।

जानकारों का कहना है कि  अन्य बाजारों में ऑस्ट्रेलियाई कपास की निरंतर बढ़त चीन के नरम-प्रतिबंध अवधि के दौरान किए गए बाजार विविधीकरण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।

व्यापारियों के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई कपास की उच्च गुणवत्ता बदलती आर्थिक स्थितियों और कपास-आधारित फैशन और घरेलू सामानों की वैश्विक खपत में कमी के बावजूद भी मांग को बढ़ा रही है।

भारतीय बाजार

सुश्री विलिस का कहना है कि  चीनी बाजार के भीतर जुड़ाव को फिर से स्थापित करने के साथ-साथ एसीएसए भारत के साथ ऑस्ट्रेलियाई सरकार की बातचीत में सहायता करने में अपनी भूमिका पर विचार कर रहा है।

ऑस्ट्रेलिया ने 2022 में भारत के साथ एक आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए और अब एक अधिक व्यापक समझौते - व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते, या सीईसीए पर काम कर रहा है।

वर्तमान में, ऑस्ट्रेलिया भारत में 51,000 टन कपास शुल्क मुक्त निर्यात कर सकता है, इससे अधिक के आयात पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है।

आंकड़ों के अनुसार  भारत ने 2023 में 61,000 टन से अधिक ऑस्ट्रेलियाई कपास का आयात किया, जिसमें से लगभग 10,000 टन पर 11 प्रतिशत टैरिफ लागू हुआ।

सुश्री विलिस ने कहा कि इंडोनेशिया और चीन जैसे अन्य कपास बाजारों की तुलना में ऑस्ट्रेलिया से भारत की दूरी को देखते हुए, शिपिंग लागत भी खरीदारों के लिए एक कारक थी।

उनका कहना है कि वह  एफटीए [सीईसीए] वार्ताओं में [सरकार] का समर्थन करने में भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम सरकार और उद्योग के साथ उन तरीकों की पहचान करने के लिए जुड़ रहे हैं जिनसे हम द्विपक्षीय संबंधों में योगदान कर सकते हैं और हमारे दो-तरफा व्यापार को चलाने में मदद कर सकते हैं।

  खाद्य तेलों में तेजी का दौर सीपीओ 7.25 प्रश, सोया आयल 5 प्रश बढ़ा ब्राजील, अर्जन्टीना में सोया में  देरी गत सप्ताह विश्व बाजार में खाद्य त...