काटन निर्यात पर प्रोत्साहन का सुझाव
कम होगा सराकरी खजाने पर बोझ-अतुल गनात्रा
काटन एसोसिएशन आफ इंडिया यानि सीएआइ के अध्यक्ष श्री अतुल गनात्रा ने सरकार को सुझाव दिया कि काटन निर्यात को प्रोत्साहन देकर सरकारी खरीद और इससे खजाने पर पड़ने बोझ को कम किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष सरकारी एजेंसियों ने लगभग 115 लाख गांठ काटन की खरीद की जो एक रिकाड है।
इस वर्ष भी सरकार को अधिक खरीद करनी पड़ सकती है क्योंकि अभी तक लगभग 70 लाख गांठ की खरीद की जा चुकी है।
काटन एसोसिएशन आफ इंडिया की अठ्ठावनवीं वार्षिक आम सभा में बोलते हुए श्री गनात्रा ने कहा कि भाव में भारी गिरावट आने पर सरकार द्वारा किसानों को बिकवाली से रोकने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर काटन की खरीद आवश्यक है लेकिन निर्यात पर प्रोत्साहन देकर खजाने पर पड़ने वाले बोझ को कम किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इससे भारतीय काटन उत्पादकों को भी अन्य देशों जैसे अमेरिका, आस्टेªलिया, ब्राजील आदि के किसानों की भांति प्रतिस्पर्धक दाम मिल सकेंगे।
श्री गनात्रा का कहना है कि इस समय विश्व बाजार में भारतीय काटन सबसे सस्ती है और यहां से निर्यात में बढ़ोतरी की व्यापक संभावनाएं हैं।
श्री गनात्रा का कहना है कि इस समय भारत विश्व में काटन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यहां पर काटन का रकबा विश्व में सबसे अधिक है लेकिन प्रति हैक्टेयर उपज कम होना चिंता का विषय है।
भारत में काटन की प्रति हैक्टेयर उपज 500 किलो के आसपास है जबकि विश्व में औसत उपज 700 किलो है।
उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से प्रति हैक्टेयर उपज में बढ़ोतरी हुई है लेकिन इस दिशा में अभी और किये जाने की आवश्यकता है।
कोविड का कुप्रभाव
श्री गनात्रा ने कहा कि कोविड-19 ने देश के टैक्सटाईल सैक्टर को ्रबुरी तरह प्रभावित किया है।
कोविड-19 संकट से पूर्व आशा थी कि इस सैक्टर में सुधार की गति जारी रहेगी लेकिन इस महामारी ने टैक्सटाईल के प्रत्येक सैक्टर को अस्त-व्यस्त कर दिया था तथा पूरी श्रृंखला को प्रभावित किया।
हालांकि काटन वर्ष 2029-20 (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान देश में काटन का उत्पादन पूर्व वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत बढ़कर 360 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) हो गया लेकिन कोविड-19 के कारण खपत में भारी कमी आई।
श्री गनात्रा के अनुसार हाल ही में समाप्त हुए काटन वर्ष यानि 2029-20 में काटन की खपत पूर्व वर्ष की तुलना में 19.75 प्रतिशत घट कर 250 लाख गांठ रह गई।
इससे पूर्व वर्ष में खपत 311.50 लाख गांठ थी।
भारत से काटन का निर्यात भी प्रभावित हुआ और केवल 50 लाख गांठ काटन का निर्यात ही किया जा सका जबकि अनुमान इससे कहीं अधिक का था।
विश्व बाजार
श्री गनात्रा का कहना है इंटरनैशनल काटन एडवाईजरी कमेटी यारि आइसीएसी के अनुसार 2019-20 में विश्व में काटन उत्पादन 260.5 लाख टन रहा जबकि खपत 225.4 लाख टन रही।
इससे 2019-20 सीजन के अंत में काटन का बकाया स्टाक 212.4 लाख टन रहा जो इस चालू वर्ष के अंत मंे बढ़कर उ216.5 लाख टन हो सकता है।