Saturday, January 29, 2022

 खाद्य तेलों में तेजी का तूफान

इंडोनेशिया से पाम आयल निर्यात सीमित

द.अमेरिका में सोया उत्पादन कम

गत कुछ दिनों से नीचे चल खाद्य तेलों के भाव इंडोनेशियाइ सरकार के एक फैसले से तेजी का तूफान ला दिया है और मलेशिया में पाम आयल के भाव लगातार तेज रहते हुए शुक्रवार को इतिहास में पहली बार 5,600 रिंगित का स्तर पार करते हुए 5,639 रिंगित प्रति टन का स्तर छू गए।

सीबोट में भी जोरदार तेजी आई।

तेजी का प्रमुख कारण इंडोनेशियाई सरकार द्वारा घरेलू बाजार में पाम आयल के बढ़ते भाव को काबू में रखने लिए इसके आयात पर अंकुश लगाना है।

इंडोनेशिया सरकार ने वहां के पाम आयल उत्पादक के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे अपने कुल उत्पादन या निर्यात की 20 प्रतिशत मात्रा घरेलू बाजार में बेचेंगे।

जानकारों का कहना है कि इससे विश्व बाजार में पाम आयल की सप्लाई कम होने की आशंका है क्योंकि इंडोनेशिया विश्व का सबसे बड़ा पाम आयल उत्पादक देश है।

इंडोनेशियासे निर्यात कम होने के कारण मलेशियाई पाम आयल की मांग बढ़ेगी और इससे शुक्रवार को वहां पाम आयल के भाव 5,639 रिंगित प्रति टन का ऐतिसाहिक स्तर छूने के बाद 5,633 रिंगित प्रति टन पर बंद हुए।

सप्ताह के दौरान पाम आयल अप्रैल वायदा में कुल 5.85 प्रतिशत की तेजी आई।

दूसरी ओर सीबोट में सोयाबीन में भारी तेजी रही। आरंभ के कारोबार में मार्च वायदा लगभग 55 सेंट प्रति बुशल तक बढ़ चुका था।

सोया आयल और सोयामील में भी तेजी रही।

सोयाबीन में तेजी का एक अन्य कारण दक्षिणी अमेरिका में सोयाबीन के उत्पादन में पूर्वानुमान की तुलना में भारी गिरावट होना है।

ब्राजील में इस वर्ष रिकार्ड उत्पादन का अनुमान था लेकिन अब अनुमान लगातार कम होते जा रहे हैं।

व्यापारियों का कहना है कि अब सोयाआयल, सन आयल की मांग में सुधार होगा और आयातक देश पाम आयल की कमी को साफ्ट तेलों के आयात से पूरा करेंगे।

भारत और चीन खाद्य तेलों के प्रमुख आयातक देश हैं।

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष तक सोयाबीन की तुलना मंे पाम आयल के भाव लगभग 100 डालर प्रति टन तक कम चल रहे थे जबकि सन आयल की तुलना में पाम आयल लगभग 250 डालर सस्ता होता था।

व्यापारियों का कहना है कि पाम आयल और सोया आयल के भाव लगभग समान ही हो गए हैं।


Thursday, January 20, 2022

 

महाराष्ट्र फिर चीनी उत्पादन में नम्बर एक

अनेक वर्ष के बाद महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में एक बार फिर सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बनने जा रहा है।

उल्लेखनीय सूखे के कारण कुछ वर्षों से राज्य में गन्ने का उत्पादन कम हो रहा था और चीनी उत्पादन में इसका स्थान उत्तर प्रदेश के बाद हो गया था।

चालू सीजन में महाराष्ट्र में 192 चीनी मिलें उत्पादन कर रही हैं और कुल उत्पादन 62.08 लाख टन हो गया है।

मिलों ने कुल 625.38 लाख टन गन्ने की पेराई की है और औसत रिकवरी 9.93 प्रतिशत है।

राज्य में सबसे ज्यादा 45 चीनी मिलें सोलापुर विभाग में उत्पादन कर रही हैं और 19 जनवरी तक 148.75 लाख टन गन्ना पेराई कर 13.13 लाख टन चीनी उत्पादन हो गया है।

बहरहाल, रिकवरी अधिक होने के कारण कोल्हापुर विभाग की मिलों में 150.26 लाख टन क्रशिंग की है तथा 11.31 प्रतिशत की औस​त रिकवरी से 16.99 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।

 

पुणे विभाग में कुल 29 चीनी मिलों में पेराई हो रही है। वहां पर औसत रिकवरी 10.11 प्रतिशत है और 126.91 लाख टन गन्ने की पेराई से 12.83 लाख टन चीनी बन चुकी है।

 

Saturday, January 8, 2022

मसालों में लगेगा तेजी का तड़का/ This may be year of rise in spices

 मसालों   में लगेगा तेजी का तड़का

राजेश शर्मा

-पिछले कुछ सप्ताहों से हल्दी, जीरा, धनिया आदि में तेजी का दौर बना हुआ है तथा आगामी महीनों में इनमें और तेेजी की संभावना बनी हुई है।

लगभग 10 वर्ष के बाद हल्दी ने 10,000 रुपए का आंकड़ा पार कर लिया है। 

इसी प्रकार की स्थिति जीरा और धनिया की है।

केडिया कमोडिटी के श्री अजय केडिया का कहना है कि 2022 में कमोडिटीज का सुपर साईकिल है।

तेलों और काटन के बाद अब मसालों पर नजरें लगी हुई हैं। 

श्री केडिया का कहना है कि 2022 में तेजी के मामले में मसालों के भाव की भी वही स्थिति हो सकती है जो 2021 में खाद्य तेलों की हुई थी और काटन की हो रही है।

उल्लेखनीय है कि 2021 वर्ष खाद्य तेलों की तेजी के लिए अभूतपूर्व रहा है।


काटन में और तेजी के लिए एक बार मंदा जरुरी/Correction in cotton prices needed for fresh hike

 काटन में और तेजी के लिए एक बार मंदा जरुरी

वेबीनार में अधिकांश वक्ताओं का कथन

राजेश शर्मा

देश में काटन के भाव नित नया रिकार्ड बना रहे हैं और अब आम व्यापारी यह सोच रहा है कि क्या अब भाव और तेज जाएंगे या गिरेंगे?

उल्लेखनीय है कि देश में काटन के भाव तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुक हैं क्योंकि देश में काटन का उत्पादन कम होने की आशंका के साथ ही विश्व बाजार में भी भाव 10 वर्ष की चोटी पर बने हुए हैं।

मंदा जरुरी

शनिवार को केडिया एडवाईजरी, आईएसीओएसएआईए और एमसीएक्स द्वारा आयोजित काटन काम्पलैक्स पर आयोजित एक वेबीनार में अधिकांश वक्ताओं का यह मानना था कि काटन के भाव में और तेजी की संभावना है लेकिन इसके लिए भाव में एक बार मंदा आना जरुरी है।

लगभग सभी वक्ताओं का कहना था कि तेजी का कारण विश्व बाजार के साथ ही देश में काटन का उत्पादन कम होना है जबकि काटन यार्न की मांग में बढ़ोतरी हो रही है।

वक्ताओं का कहना था कि यह कहना गलत है कि सट्टेबाजी के कारण भाव बढ़ रहे हैं बल्कि तेजी का कारण मांग और सप्लाई है।

केडिया एडवाइजरी के श्री अजय केडिया के अनुसार वास्तव में देश से गारमेंट का निर्यात बढ़ रहा है और काटन यार्न की कपड़ा मिलों की मांग लगातार बनी हुई है। 

श्री केडिया के अनुसार टैक्नीकली अभी पूरे काटन काम्पलैक्स यानि कपास, काटन, तेल और खल में हाजिर और वायदा में तेजी लग रही है।

उनका कहना था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाव काफी तेज हो चुके हैं लेकिन अभी और तेजी की संभावना है क्योंकि विश्व बाजार तेज है और उत्पादन भी कम है लेकिन इसके लिए एक बार मंदा आना जरुरी है। यह मंदा कब और कितना आएगा यह समय बताएगा।

आईएसीओएसएआईए के संयोजक श्री सुधीर अग्रवाल के अनुसार उनके सर्वे के अनुसार काटन का उत्पादन कम है और भाव में तेजी आ चुकी है। 

आगामी कुछ महीने भाव के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। व्यापारियों का व्यापार सतर्कतापूर्वक करना चाहिए।

काटन एसोसिएशन आफ इंडिया के प्रेजीडेंट श्री अतुल गनात्रा का कहना था कि एसोसिएशन 2021-22 सीजन के अनुमान 15 जनवरी को लगाएगी और तब ही फसल के बारे में कुछ कहा जा सकेगा।

आईएसीओएसएआईए एक सदस्य का कहना था कि बाजार में तेजी लग रही है और ऐसे में माल बेचकर चलने में जोखिम लग रहा है।

एक अन्य सदस्य श्री राजेश चौधरी का कहना था कि पहले देश में काटन का अनुमान 337 लाख गांठ का था लेकिन अब हालात देख कर लगता है कि यह 278 लाख गांठ पर ही सिमट जाएगा।

आस्ट्रोगुरु कर्नल अजय अग्रवाल का कहना था कि इस वर्ष बढ़िया काटन के उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है और यही कारण है कि भाव में तेजी आ रही है।

आमतौर पर ए ग्रेड की काटन का उत्पादन कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत तक होता है लेकिन इस वर्ष इसकी मात्रा केवल 20 प्रतिशत ही होने की संभावना है।

हल्की क्वालिटी की काटन उपलब्धता अधिक है।

उनका भी मानना था कि यदि सरकारी हस्तपेक्ष नहीं होता है तो भाव में तेजी की संभावना है लेकिन इसके लिए एक बार मंदा आना जरुरी है।

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